Valentine’s Day के अवसर पर इस ग़ज़ल को नही पढ़ा ,कुछ नही पढ़ा, ये ग़ज़ल Valentine’s Day के नाम

घेर लिया तेरी चाहत ने इस कदर
कि इससे बाहर निकलने को अब जी नहीं चाहता…..
तेरे इश्क में इतने करीब अाकर 
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
तेरी पायलों की छन-छन 
तेरी चूडीयों की खन-खन
को सुने बिना अब चैन नहीं अाता
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
देखता हुँ जब भी तुझे
ठहरा सा लगता है समां
और ये समां बदलने को जी नहीं चाहता
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
आँख बंद कर जब भी 
तेरे चेहरे को हुँ निहारता
तो आँखे खोलने को जी नहीं चाहता
खोया ही रहुँ तेरे सपनो में
नींद से उठने को जी नहीं चाहता
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
तेरे इस मोहब्बत के सागर में डूबकर
बाहर निकलने को जी नहीं चाहता
तेरे इस प्यार में भीगकर,सुखने को
जी नहीं चाहता…
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
जब भी आती हो मेरे सामने
तो दिल चाहता है
एक-टक घूरता ही रहुँ तुम्हें
होठों से कुछ कहने को 
जी नहीं चाहता….
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
ये तेरी आँखो का नशा है
जो बिन पिये चढ रहा है
इस नशे में डूबकर फिरता ही रहुँ मैं
इस नशे से बाहर निकलने को 
जी नहीं चाहता…
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
ये तेरी यादों ने कैसा जख्म दिया है
जो दिन-पे-दिन गहरा हो रहा है
इस जख्म पे मरहम लगाने को 
जी नहीं चाहता….
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
प्यार के इस दरिया में बहते ही रहें हम……
छोटी सी कश्ती लिए तैरते ही रहें हम
किनारों पर जाने को जी नहीं चाहता..
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
डरता हुँ …अपनी  इस मोहब्बत के बारे में क्या कहेंगे लोग,
पर लोगों की परवाह करने काे जी नहीं चाहता….
तेरे इश्क में इतने करीब अाकर 
अब तुझसे दूर जाने को जी नहीं चाहता!!!!!
   -दीपेश कुमार सैन

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